
आष्टा नगर के वार्ड 15 की तस्वीरें आज नगर प्रशासन की कार्यशैली पर करारा तमाचा साबित हो रही हैं। क्षेत्र में चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिससे पूरा वार्ड नारकीय स्थिति में तब्दील हो चुका है। गंदगी के कारण नालियों से बहकर आने वाला पानी गलियों में फैल चुका है, और खाली प्लाट पर गंदगी उसमें सूअरों का झुंड दिनभर घूमता दिखाई देता है।
स्थानीय रहवासियों का कहना है कि यह स्थिति कोई नई नहीं है। कई बार इस समस्या को लेकर वार्ड के दिनेश गुप्ता, मदन पालीवाल, एवं अन्य जागरूक नागरिकों ने नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) को भी सूचित किया, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
“यहां बच्चों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को गंदगी और जानवरों से होकर गुजरना पड़ता है। कभी भी कोई हादसा हो सकता है,” – यह कहना है स्थानीय निवासी श्री रमेश शर्मा का।
वार्ड की इस हालत से यह स्पष्ट होता है कि नगर पालिका का सफाई अमला कागजों में तो सक्रिय है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
आश्चर्य की बात है कि चुनाव के समय हर गली और हर घर में दस्तक देने वाले जनप्रतिनिधि अब इस गंदगी से नाक-भौं सिकोड़े बिना ही गायब हैं। क्या सफाई सिर्फ स्वच्छता पखवाड़ों और फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गई है?
क्या नगर पालिका सिर्फ ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के बोर्ड लगाने और प्रचार करने तक ही सीमित रह गई है?
आखिर वार्ड 15 सुभाष नगर की सफाई व्यवस्था सुधारने में देरी क्यों?
क्या बच्चों की सुरक्षा और नागरिकों का स्वास्थ्य प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं आता?
सूअरों और गंदगी के बीच जीते ये लोग क्या दूसरे दर्जे के नागरिक हैं?